कोरोना काल में किसानों ने पूरी ताकत के साथ काम किया, जिसका असर भारतीय अर्थव्यवस्था पर देखा गया और गांवों की अहमियत बढ़ गई.
भारतीय अर्थव्यवस्था की धुरी कृषि और अन्न उगाकर देशवासियों का पेट भरने वाले किसानों के कार्यों की अहमियत कोरोना महामारी के संकट के दौरान शिद्दत के साथ महसूस की गई. इसलिए, मोदी सरकार ने पिछले साल देशभर में पूर्णबंदी के समय भी खेती-किसानी और इससे जुड़े तमाम कार्यों को पाबंदी से मुक्त रखा. नतीजतन देश में अनाज, फल, सब्जी दूध समेत खाने-पीने की तमाम चीजों की आपूर्ति निरंतर बनी रही. कृषि अर्थव्यवस्था के जानकार विजय सरदाना कहते हैं कि कृषि एवं संबद्ध क्षेत्र की तरक्की से ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूती मिली और उसका सपोर्ट देश की अर्थव्यवस्था को मिला है. मसलन, गांवों में किसानों के हाथ में पैसे आने से वहां, कृषि यंत्रों व उपकरणों के साथ-साथ मोटरसाइकिल और दूसरे वाहनों की मांग बढ़ने से ऑटो सेक्टर को फायदा हुआ.
सही मायने में कोरोना काल भारत में खेती और किसानी के काम से जुड़े लोगों के लिए आपदा में अवसर लेकर आया है. देश में चावल, गेहूं और चना समेत कई खाद्यान्नों और तिलहनों का रिकॉर्ड उत्पादन होने के बावजूद किसानों को उनकी उपज का लाभकारी दाम मिल रहा है. ऐसा शायद पहली बार हुआ है जब उत्पादन बढ़ने के बाद भी किसी फसल का किसानों को बेहतर दाम मिला हो.
कृषि बाजार के जानकार राजस्थान के बीकानेर के पुखराज चोपड़ा ने आईएएनएस से कहा कि, “देश में कोरोना का संक्रमण पिछले साल जब बढ़ने लगा शुरुआत में तमाम कृषि उत्पादों की कीमतों में भारी गिरावट आई थी, जिससे चिंता बढ़ गई, लेकिन बाद में उत्पादन में बढ़ोतरी के साथ सारी फसलों की कीमतों में इजाफा हुआ और इस समय कुछ फसलें हैं जिनका भाव सर्वाधिक ऊंचे स्तर पर है. सरसों और चना की आवक जोरों पर है और किसानों को एमएसपी से ऊंचा भाव मिल रहा है.
चोपड़ा ने कहा कि मौजूदा ट्रेंड बताता है कि वर्षो पहले खाद्यान्नों में आत्मनिर्भर बने भारत के किसान भी आने वाले दिनों में आत्मनिर्भर बनेंगे.
सोयाबीन, कपास और सरसों जैसी नकदी फसलें केंद्र सरकार द्वारा तय न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) से उंचे भाव पर बिक रही हैं और जिन अनाजों, दलहनों व तिलहनों का भाव एमएसपी से नीचे है, सरकारी एजेंसियां उनकी खरीद करने को तैयार हैं.
कृषि विशेषज्ञ बताते हैं कि यह पूरी कवायद 2014 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा केंद्र की सत्ता संभालने के बाद से निरंतर किए गए प्रयासों को यह नतीजा है. विभिन्न केंद्रीय योजनाओं का पूरा-पूरा लाभ उसके असली हकदार तक पहुंचाने के लिए डिजिटलीकरण के उपयोग पर जोर देने के साथ-साथ मोदी सरकार ने किसानों के लिए कई महत्वाकांक्षी योजनाएं भी शुरू की हैं. मसलन, प्रधनमंत्री किसान सम्मान निधि, प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना इत्यादि.
केंद्रीय कृषि मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि बीते छह साल में कृषि व संबद्ध क्षेत्र के लिए शुरू की गई योजनाओं का एकमात्र मकसद खेती-किसानी को फायदे की वृत्ति बनाना है.
विशेषज्ञ बताते हैं कि देश में जब कृषि उत्पादों की पैदावार बढ़ रही है और घरेलू खपत के मुकाबले ज्यादा उत्पादन हो रहा है, तब सरप्लस उत्पादन को वैश्विक बाजार में बेचने के लिए प्रतिस्पर्धी बाजार की दरकार है. कृषि वैज्ञानिक बनाते हैं प्रतिस्पर्धी बाजार के साथ-साथ खाद्य वस्तुओं की गुणवत्ता में सुधार लाने की जरूरत है.
केंद्र सरकार के अधिकारी बताते हैं कि कोरोना काल में लाए गए कृषि कानून इस दिशा में अहम कदम है, क्योंकि गुणवत्तापूर्ण खाद्य वस्तुओं का ही निर्यात संभव है.
फसल वर्ष 2020-21 के दूसरे अग्रिम उत्पादन अनुमान के अनुसार देश में खाद्यान्नों का रिकॉर्ड 30.33 करोड़ टन उत्पादन है, जबकि इस साल के पहले अग्रिम उत्पादन अनुमान के अनुसार, बागवानी फसलों का कुल उत्पादन 32.65 करोड़ टन है.
हाल ही में आईएएनएस को दिए एक विशेष साक्षात्कार में नीति आयोग के सदस्य प्रोफेसर रमेश चंद ने कहा कि देश में जिस रफ्तार से कृषि उपज का उत्पादन बढ़ रहा है, उससे आने वाले दिनों में कुल उत्पादन का 20 से 25 फीसदी निर्यात करने की आवश्यकता होगी.
अर्थशास्त्री विजय सरदाना ने बताया कि कोरोना काल में लोग स्वास्थ्यवर्धक खाद्य सामग्री ज्यादा पसंद करने लगे हैं, जिससे प्रोटीनयुक्त उत्पादों की मांग बढ़ गई है, जिसका फायदा किसानों को मिल रहा है.
देश में कोरोना का कहर फिर गहराने लगा है, लेकिन शहरों की तुलना में गावों में कोरोना संक्रमण का प्रकोप पिछले साल भी कम रहा और इस साल भी बहुत कम है.
जानकार बताते हैं कि पिछले साल जब औद्योगिक शहरों से प्रवासी मजदूरों का बड़े स्तर पर पलायन हुआ, उस समय गांवों में ही उनके लिए रोजगार के उपाय किए गए क्योंकि महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम (मनरेगा) और प्रधानमंत्री ग्रामीण अवास योजना से लेकर ग्रामीण क्षेत्र की तमाम योजनाएं चालू थीं.